Here lies my blog, I hope you understand hindi
उसे नामंजुर हो जाता हैं जुबाँ से अगर सच निकले गुनाह-ए-क़त्ल से बड़ा होगा उसकी अदाओं से 'गर बच निकले
आवाज़ जहाँ तक जाये हर मकां रौशन हो मेरी कोशिश हैं की चिराग़ों को रौशनी दे दू
जब खाली कर दी हवा ज़मीं से, फिर तूफ़ान कहाँ ढूँढ़ता हैं... बैठ गया समुंदर में... फिर,
हैं नहीं अब वक़्त, चलो याद करे... कौन करे फ़रियाद, चलो याद करे... धुँए से भरा आसमान ग़नीमत हैं,